पतझड़ के बाद पेड़ को,
कोन कबुल करता है,
काम निकल जाने के बाद आजकल,
इंसा को कोंन कबुल करता है,
अहमियत आजकल आपकी,
हरे भरे रहने तक ही है,
स्वार्थ की इस दुनिया मे,
हारे हुए सख्स को,
कोन कबुल करता है !!!
जब तक आप हाजी- हाजी करते है,
तब तक आप आँखों के तारे हो,
जैसे ही तुमने गदर दिखाई,
बन जाते आंख के कांटे हो,
ऐसी बग़ावत के आपके अंदाज को,
कौन कबुल करता है,
काम निकल जाने के बाद आजकल,
इंसा को कौन कबुल करता है ?
अगर कबुल करने वालो के बढ़े होते हाथ,
तो फिर क्यों होते जहां में आत्मघात ???
-hsmk jain✍️
