शोर मचाता है ❤️

जब जब तुम रहती हो साथ,
तो मोर सा नाचता है दिल,
जब भी तुम होती मुझसे दूर,
तब शोर मचाता है दिल..

बड़ा नादान सा है.. ये दिल,
कुछ परेशान सा है…ये दिल,
तुमसे मिले,बड़ा वक्त है गुजरा,
इसलिए शोर मचाता है दिल..

ये दिल तुम्हारा कायल सा है,
तुम्हारी अदाओं पर घायल सा है,
तुम पर जा लुटाने चाहता है दिल,
शायद इसलिए शोर मचाता है दिल,

यह शोर युही मचायेगा,
तुम संग ही मुस्कुराएगा,
तुम संग पल पल जीने की,
ख्वाइश रखता है दिल,

खूब शोर मचाता है दिल,
बस तेरे लिए धड़कता है दिल,
तुमसा ही प्यारा है दिल ❤️..hsmk jain✍️

कौन कबुल करता है ?

पतझड़ के बाद पेड़ को,
कोन कबुल करता है,
काम निकल जाने के बाद आजकल,
इंसा को कोंन कबुल करता है,
अहमियत आजकल आपकी,
हरे भरे रहने तक ही है,

स्वार्थ की इस दुनिया मे,
हारे हुए सख्स को,
कोन कबुल करता है !!!

जब तक आप हाजी- हाजी करते है,
तब तक आप आँखों के तारे हो,
जैसे ही तुमने गदर दिखाई,
बन जाते आंख के कांटे हो,
ऐसी बग़ावत के आपके अंदाज को,
कौन कबुल करता है,
काम निकल जाने के बाद आजकल,
इंसा को कौन कबुल करता है ?

अगर कबुल करने वालो के बढ़े होते हाथ,
तो फिर क्यों होते जहां में आत्मघात ???
-hsmk jain✍️

भुला न सकेंगे हम..

भुला न सकेंगे हम,
शहादत अपने जवानों की,
दिखाएंगे इन चीनियों को भी,
औकात इनके घरानों की,

हमने अब तक भाई भाई कहकर,
मानवता दिखलाई है,
पर ये निर्दयी नही समझे अब तक,
क्योंकी इनमें नही कोई करुणायी है,

हमारे जवान सीमा पर ,
जवाब उनको निश्चित देंगे,
ओर हम सब मिलकर देश मे,
चीनी वस्तु को बहिष्कृत करेंगे,

हमसे व्यापार कर के यह,
हम पर ही रौब जमाता है,
सस्ता सस्ता कहकर हमसे,
खूब मुनाफा खाता है,

लातो के भूत बातों से नही मानेंगे,
ये बात हमे समझनी होगी,
अब विकल्प अपनाकर चीनी वस्तुओं की,
उनकी कमर तोड़नी होगी,

निश्चित होगा बदलाव हमारे देश मे,
आएगा नया सवेरा हमारे देश मे,
कुछ महंगा भले लगे हमको,
पर चीज अब देशी लेनी होगी,
बहुत हुआ अब मेड इन चाइना,
अब मेड इन इंडिया की ही हर वस्तु होगी !.

..hsmk✍️

❤️ मुम्बई मेरी जान ❤️

{सपनो का शहर मुंबई,मायानगरी, देश की आर्थिक राजधानी,बम्बई, बॉम्बे न जाने किन किन नामो से इस महान शहर को जाना जाता है,कहते है यहाँ इंसान को सांस लेने की फुरसत नही, यहाँ की जिन्दगी,यहां की सड़कें कभी रूकती नही,यहाँ की रफ्तार कभी थमती नही ये वो शहर है जहाँ आकर इंसान ने जो दिल से ,मेहनत कर के चाहा है वो हर मुकाम पाया है,ओर इस शहर ने हर किसी को अपनाया है,यहाँ पूरे भारतवर्ष की संस्कृति और सभ्यता को आपने पाया है }

पर

आजकल कुछ दिनो से मेरी मुम्बई थम सी गयी है, जरा सिसक सी गयी है,
बिंदास मुम्बईकर डर डर के कदम आगे रख रहा है,
आज अपना भी अपने से मिलने से कतर रहा है,
कैसा ये रोग का साया आया है,कैसा ये कहर बरपाया है,
कैसी गति से ये फैल रहा है, कैसे ये जिंदगी लील रहा है,

यहाँ की जीवन रेखा,मुम्बई लोकल पर ब्रेक लग चुका है,
अरब सागर पर अठखेलिया करता बचपन घरो में कैद हो चुका है,
मरिन ड्राइव का किनारा हो या चौपटियो का नजारा हो,
हर ओर पनपा यहाँ केवल घनगोर सन्नाटा है,

विश्व के कई देशो में इस रोग ने पाव पसारे है,
चीन की गलती की सजा,भुगत रहे सारे है,
भारत एक बहुसंख्यक जन का देश है,
यहाँ अनेक भाषा ,परिवेश है,
इसलिए हमें थोड़ा डर और अधिक सतर्कता दिखानी है,
ओर कोरोना को याद दिलानी उसकी नानी है,

कैसा ये पाप का उदय आया है,
भगवान के दर्शन भी जीव नही कर पाया है,
भगवान के दर पर आज लग गया ताला है,
लगता है इस मुश्किल राह का समाधान, प्रभु ने हम पर ही डाला है,

इस बार बात जरा गंभीर है, ये हमे समझना होगा,
सरकार के कदमो पर, अमल हमें करना होगा,
अब तक साथ दिया है , शायद आगे भी देना होगा,

आज सबको लग रहा है घरो में कैद हो गए,
पर अपनी ओर दुसरो की सुरक्षा के लिए ये कदम जरूरी हो गए,
चिंता सबको यही सता रही है कि कितने दिन बंद रहेगी दुकान,
पर सोचो जरा,कैसे जा पाओगे दुकान, जब नही बचेगी जान,

जनता हड़बड़ी में चूक किये जा रही है,
इसलिए प्रशाशन कठिन कदम उठा रही है,
आजकल कही कहीं पब्लिक प्लेस का हाल देखो तो ,
लग रहा है जनता स्वयं मुसिबत बुला रही है,

थोडे संयम और समजदारी से हमको आगे बढ़ना है,
ओर कोरोना की इस जंग में , हमें जीत पर चढ़ना है,

हिंदुस्तान को एक बार फिर यही दिखाना है,
भले कितने हो मतभेद हम सब मे पर,
मुसीबत में हम सब साथ है,
ओर यही दुनिया से अलग करने वाली, हिंदुस्तान में बात है,

सेवाकर्मियों के जज्बे को सलाम है,
उनके प्रति कृतज्ञ पुरा हिंदुस्तान है,
उनके साहस को समर्थन दे ,
ओर बैठ कर घरो में , उन्हें वन्दन करे!…✍️hsmk

कोरोना को रोकोना…

क्योकि अब सम्भल गए तो जीवन संवर जाएगा
वर्ना जीवन मे केवल पछतावा रह जायेगा….

लोक डाउन में शहर में फॅसे एक मजदुर की दास्तां…

ये ठण्डी हवा का झोंका,
माँ की यादो की दस्तक लाया,
छूकर उनकें कदमो को ,
एक आशीष मुझ तक लाया,

ये ठंडी हवा का झोंका,
पिताजी की चिंताओं की दस्तक लाया,
छूकर उनके मन को मुझ तक,
कुछ जिम्मेदारियों का अहसास लाया,

ये ठंडी हवा का झोंका,
बहना की यादों की पिटिया लाया,
छूकर उसके हाथों को मुझ तक,
राखी की यादे ताजा कर पाया,

एक ठंडी हवा का झोंका,
अर्धांगिनी से मिलने के वादे की यादे लाया,
छूकर उसको ,मुझको छुआ,
प्रीत का अहसास , मुझे कराया,

ये ठंडी हवा का झोंका,
मेरी गांव की यादे , ताजा कर पाया,
मेरी यादों ओर अहसासों को,
फिर से ताजा कर पाया,
मेरे लॉकडाउन में घर से दूर फंसे होने के गम को,
मैं कुछ पल के लिए भुला पाया,
में कुछ पल के लिए भुला पाया,
hsmk jain✍️